अधूरी मोहब्बत: प्यार, वासना और बेवफाई की कहानी

 



अधूरी मोहब्बत: प्यार, वासना और बेवफाई की कहानी

पहला भाग: परफेक्ट जिंदगी का धोखा

विवेक और स्नेहा की शादी को दस साल हो चुके थे। बाहर से देखने पर उनकी ज़िंदगी किसी परफेक्ट जोड़े की तरह लगती थी—एक आलीशान घर, अच्छी नौकरी, और एक प्यारा-सा बेटा, आरव। लेकिन हकीकत में यह रिश्ता सिर्फ़ एक समझौता बनकर रह गया था।

विवेक एक मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर था, उसकी ज़िंदगी बस ऑफिस, मीटिंग्स और टारगेट्स में सिमट गई थी। शादी के शुरुआती सालों में वह स्नेहा के साथ समय बिताता, उसे सरप्राइज़ देता, और उसके बिना एक पल भी नहीं रह पाता था। लेकिन जैसे-जैसे करियर की जिम्मेदारियां बढ़ीं, वैसे-वैसे स्नेहा के लिए उसका वक्त कम होता गया।

स्नेहा एक हाउसवाइफ थी, जिसने अपना करियर छोड़कर विवेक और आरव के लिए अपनी दुनिया सीमित कर ली थी। लेकिन अब वह खुद को अकेला महसूस करने लगी थी। वह दिनभर घर के कामों में लगी रहती, पर उसे अपने जीवन में खालीपन महसूस होता। वह चाहती थी कि विवेक उसकी भावनाओं को समझे, लेकिन विवेक हमेशा अपने काम में व्यस्त रहता।

धीरे-धीरे, स्नेहा की मुस्कान फीकी पड़ने लगी, उसके दिल में प्यार की जो चिंगारी थी, वह बुझने लगी। उसे महसूस होने लगा कि अब वह सिर्फ़ एक पत्नी और मां बनकर रह गई है, एक औरत नहीं।

दूसरा भाग: नया आकर्षण

इसी दौरान उसकी मुलाकात रोहित से हुई। रोहित एक जिम ट्रेनर था, जो स्नेहा के योगा क्लास में आता था। पहली बार जब स्नेहा ने उसे देखा, तो उसकी पर्सनैलिटी ने उसे आकर्षित किया। रोहित की बॉडी फिट थी, उसकी बातें आकर्षक थीं, और सबसे बड़ी बात, वह स्नेहा की बातें ध्यान से सुनता था।

धीरे-धीरे उनकी दोस्ती बढ़ी। रोहित स्नेहा की आंखों में छिपे अकेलेपन को पहचान चुका था। वह उसे हंसाता, उसकी तारीफ करता, और उसे महसूस कराता कि वह अब भी खूबसूरत है, अब भी किसी के लिए खास है।

एक दिन जब वे दोनों एक कैफे में मिले, रोहित ने उसका हाथ पकड़कर कहा, "स्नेहा, तुम दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत हो। लेकिन तुम्हारी आंखें उदासी से भरी हुई हैं। क्या तुम्हारा पति तुम्हें वो प्यार नहीं देता, जिसकी तुम हकदार हो?"

स्नेहा की आंखें नम हो गईं। उसने पहली बार किसी से अपने दिल की बातें कीं।

रोहित ने उसके आंसू पोंछे और कहा, "तुम्हें खुश रहने का हक है। अगर कोई तुम्हारी कद्र नहीं कर सकता, तो तुम्हें खुद अपनी खुशी तलाशनी होगी।"

उस दिन के बाद, उनका रिश्ता गहराने लगा। वे हर दिन मिलने लगे, एक-दूसरे के बिना रहना मुश्किल हो गया।

तीसरा भाग: हदें पार

स्नेहा और रोहित का रिश्ता अब सिर्फ़ बातों तक सीमित नहीं रहा। उनके बीच शारीरिक आकर्षण भी बढ़ने लगा था।

एक दिन जब वे एक लॉन्ग ड्राइव पर गए, तो बारिश होने लगी। गाड़ी सड़क किनारे रोककर रोहित ने स्नेहा को बाहों में भर लिया। "मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता, स्नेहा," उसने कहा।

स्नेहा ने खुद को रोहित की बाहों में खो दिया। उसे एहसास हुआ कि उसने पिछले कई सालों से ऐसा स्पर्श महसूस नहीं किया था। वह पूरी तरह से रोहित की बाहों में समा गई।

उस दिन के बाद, वे अक्सर होटल के कमरों में मिलने लगे। दोनों के बीच दीवानगी बढ़ती जा रही थी। स्नेहा को अब घर लौटने में देर होने लगी, वह फोन पर छुप-छुपकर बातें करने लगी, और अपने लुक्स का ज्यादा ध्यान देने लगी।

चौथा भाग: बेवफाई का पर्दाफाश

विवेक ने स्नेहा में आए बदलाव को नोटिस किया। वह पहले की तरह उससे प्यार से बात नहीं करती थी, अक्सर फोन में लगी रहती थी, और बिना वजह खुश नजर आती थी।

एक दिन जब स्नेहा बाथरूम में थी, विवेक ने उसका फोन देखा। व्हाट्सएप में रोहित के साथ की चैट्स देखकर उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। "आई लव यू रोहित," "आज तुम्हारे बिना नींद नहीं आई," और "तुम्हारे बिना मेरी ज़िंदगी अधूरी है" जैसे मैसेज देखकर वह सन्न रह गया।

विवेक ने स्नेहा से सामना किया। पहले तो उसने इंकार किया, लेकिन जब विवेक ने सबूत दिखाए, तो वह सच स्वीकारने को मजबूर हो गई।

"क्या तुम्हें मेरी कमी महसूस हो रही थी, स्नेहा?" विवेक ने गुस्से में पूछा।

"हाँ, विवेक। तुमने मुझे कभी समझा ही नहीं। मुझे हर दिन अकेलापन महसूस होता था। रोहित ने मुझे वो प्यार दिया, जो तुम नहीं दे सके," स्नेहा ने रोते हुए कहा।

"और इसका हल ये था कि तुम मुझे धोखा दो?"

विवेक का दिल टूट चुका था। उसने फैसला कर लिया कि अब यह रिश्ता खत्म करना ही सही रहेगा।

पांचवां भाग: पछतावे की आग

तलाक के बाद स्नेहा को एहसास हुआ कि उसने अपनी ज़िंदगी की सबसे बड़ी गलती कर दी थी। उसने सोचा था कि रोहित उसे अपनाएगा, लेकिन रोहित के लिए वह सिर्फ़ एक वक़्ती आकर्षण थी।

रोहित ने उससे धीरे-धीरे दूरी बना ली। उसने कहा, "स्नेहा, मैं शादी के लिए तैयार नहीं हूँ। मेरा इरादा तुम्हें तकलीफ देने का नहीं था, लेकिन हम साथ नहीं रह सकते।"

स्नेहा को समझ आ गया कि उसने जिस प्यार को सच्चा समझा था, वह सिर्फ़ एक धोखा था।

उसका परिवार टूट चुका था। आरव ने भी उससे बात करना बंद कर दिया। विवेक ने अपने करियर पर ध्यान देना शुरू कर दिया और नई ज़िंदगी बसा ली। लेकिन स्नेहा अकेली रह गई।

हर रात जब वह बिस्तर पर लेटती, तो उसे एहसास होता कि उसने अपनी बेवफाई की वजह से सबकुछ खो दिया। वह सोचती, "काश, मैंने धैर्य रखा होता। काश, मैं अपनी शादी को एक और मौका देती।" लेकिन अब पछताने के अलावा कुछ नहीं बचा था।

निष्कर्ष: अधूरी मोहब्बत का अंजाम

स्नेहा की कहानी एक चेतावनी थी—वासना और मोह के क्षणिक सुख के लिए हम अपनी ज़िंदगी की सबसे कीमती चीज़ खो सकते हैं।

शायद प्यार की असली परीक्षा धैर्य और समर्पण में होती है, ना कि किसी और की बाहों में सुकून तलाशने में।

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