ईश्वर के प्रकट होने की एक सच्ची घटना/ A true incident of the appearance of God #god #stories #kahani
एक संत थे वह एक कुवें में लटक कर ध्यान और तप करते थे और कहते थे की जिस दिन यह जंजीर टूट जायेगी मुझे ईश्वर मिल जायेंगे।
उनकी इस प्रकार की तप विधि से पूरा गांव प्रभावित था और गांव के सभी लोग उनके इस प्रकार के तप विधि की तारीफें किया करते थे। उसी गांव के एक व्यक्ति के मन में इक्छा हुई की वह भी इसी प्रकार का तप करके ईश्वर को प्राप्त करेगा ऐसा सोच कर और अपने पैर में रस्सी बांध कर वह व्यक्ति भी कुवें में लटक गया और श्री कृष्ण जी का ध्यान करने लगा।
कुछ समय पश्चात् ध्यान करते हुए उस व्यक्ति की रस्सी टूट गयी और श्री कृष्ण जी ने उसे अपने गोदी में उठा लिया और दर्शन भी दे दिए।
तब वह व्यक्ति आश्चर्यचकित होकर श्री कृष्ण जी से सवाल किया कि हे प्रभु अपने मुझ जैसे एक बहुत ही साधारण से मनुष्य को इतनी जल्दी से दर्शन दे दिया जबकि वह संत महात्मा कई वर्षों से आपको बुला रहे हैं परन्तु आपने उन्हें अभी तक दर्शन नहीं दिया ऐसा क्यों ?
तब श्री कृष्ण ने उस व्यक्ति को बताया वो संत महात्मा कुवें पर लटके जरूर हैं पर पैर में लोहे कि जंजीर बांध कर, इसका अर्थ ये हुआ कि उन्हें मुझसे ज्यादा उस जंजीर पर विश्वास है जबकि तुझे खुद से ज्यादा मुझ पर विश्वास है इसलिए मैं आ गया।
इस कहानी से यह सिख मिलती है कि आवश्यक नहीं कि दर्शन में वर्षों लग जाये बल्कि यह निर्भर करता है कि आपकी भक्ति कितनी अटूट और विश्वशनीय है। अंततः ऐसी अटूट भक्ति ही आपको ईश्वर के दर्शन करायेगी। बस प्रश्न इतना है कि आप उन पर कितना विश्वास करते हैं।
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